Monday, April 03, 2006

Raat se samvaad.

रात से संवाद

ये जो ठहरा-ठहरा चाँद है, चाँदनी सोई-सोई,
रात की जो राख है, दूर तलक बिखरी हुई,
कुछ तो है ये कह रही, या शायद कुछ भी नहीं,
अलसाई सी एक फुसफुसाहट, गले ही में दबी-दबी,
मुझे है ये बुला रही, नाम मेरा पुकारती,
"अबे मेरे बाप, तुझे नींद क्यों ना आ रही!"


Its hindi unicode font, doesn't work well with FireFox. If you see just garbled characters, you can see the text in this image.

3 comments:

Jeet said...

बहुत अच्छे। :-)

hemangini said...

what a sexy looking blog. even i want mine to look like this :(

Varun Singh said...

Thanku-waad Jeetu bhai

@Mangs:
[AustinPowers]
I thank you.
[/AustinPowers]